फार्मेसी काउंसिल के चुनावों की जांच के लिए कमेटी बनी
bhaskar news | Apr 17, 2013, 06:57AM IST
जयपुर.सरकार ने राजस्थान फार्मेसी काउंसिल के चुनावों में अनियमितताओं की जांच के लिए चार सदस्यों उपसचिव अल्पा चौधरी (ग्रुप 2), चुन्नी लाल कायल (ग्रुप 3), स्वास्थ्य निदेशक बीआर मीणा और औषधि नियंत्रक डीके. श्रंगी की कमेटी बनाई है। गंभीर अनियमितताओं की शिकायतों के चलते छह महीने से निर्वाचित कार्यकारिणी का नोटिफिकेशन अटका हुआ है।
उपसचिव कायल ने बताया कि उन्हें इस बारे में आदेश मिल चुका है। काउंसिल की कार्यकारिणी के चुनाव परिणाम दिसम्बर में घोषित किए गए थे। इस सत्र की चुनाव प्रणाली शुरू से ही विवादों में घिरी रही। निवर्तमान अध्यक्ष श्याम सुंदर काबरा ने भी अनियमितताओं के गंभीर आरोप लगाए थे। सरकार को शिकायतें मिली थी कि चुनावों के लिए डाक से भेजे गए 10 हजार मतपत्रों पर उन्हें फिर से जमा कराने की दिनांक और समय की जानकारी ही नहीं थी।
मतपत्रों पर चार प्रत्याशियों के नामों में हाथ से संशोधन किया गया। मतपत्र छपवाने के बजाए, फोटो प्रति करा कर ही उन्हें मतदाताओं के पास भेज दिया गया। जिस लिफाफे में मतपत्र भेजे गए उन पर मत क्रमांक भी लिख दिया गया। जिससे मतदाताओं की पहचान उजागर हो गई। नियमों के विपरीत दो पृष्ठों का मतपत्र बनाया गया। जिसके दूसरे पेज पर मत क्रमांक ही नहीं था। करीब चार हजार मतपत्र रद्द कर दिए गए। एक औषधि नियंत्रण अधिकारी ने सरकार से अनुमति लेकर चुनाव लड़ा तो दूसरे ने अनुमति नहीं ली।
bhaskar news | Apr 17, 2013, 06:57AM IST
जयपुर.सरकार ने राजस्थान फार्मेसी काउंसिल के चुनावों में अनियमितताओं की जांच के लिए चार सदस्यों उपसचिव अल्पा चौधरी (ग्रुप 2), चुन्नी लाल कायल (ग्रुप 3), स्वास्थ्य निदेशक बीआर मीणा और औषधि नियंत्रक डीके. श्रंगी की कमेटी बनाई है। गंभीर अनियमितताओं की शिकायतों के चलते छह महीने से निर्वाचित कार्यकारिणी का नोटिफिकेशन अटका हुआ है।
उपसचिव कायल ने बताया कि उन्हें इस बारे में आदेश मिल चुका है। काउंसिल की कार्यकारिणी के चुनाव परिणाम दिसम्बर में घोषित किए गए थे। इस सत्र की चुनाव प्रणाली शुरू से ही विवादों में घिरी रही। निवर्तमान अध्यक्ष श्याम सुंदर काबरा ने भी अनियमितताओं के गंभीर आरोप लगाए थे। सरकार को शिकायतें मिली थी कि चुनावों के लिए डाक से भेजे गए 10 हजार मतपत्रों पर उन्हें फिर से जमा कराने की दिनांक और समय की जानकारी ही नहीं थी।
मतपत्रों पर चार प्रत्याशियों के नामों में हाथ से संशोधन किया गया। मतपत्र छपवाने के बजाए, फोटो प्रति करा कर ही उन्हें मतदाताओं के पास भेज दिया गया। जिस लिफाफे में मतपत्र भेजे गए उन पर मत क्रमांक भी लिख दिया गया। जिससे मतदाताओं की पहचान उजागर हो गई। नियमों के विपरीत दो पृष्ठों का मतपत्र बनाया गया। जिसके दूसरे पेज पर मत क्रमांक ही नहीं था। करीब चार हजार मतपत्र रद्द कर दिए गए। एक औषधि नियंत्रण अधिकारी ने सरकार से अनुमति लेकर चुनाव लड़ा तो दूसरे ने अनुमति नहीं ली।
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